पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने खारिज की यूटी पावरमैन यूनियन की याचिका: चंडीगढ़ बिजली विभाग के निजीकरण को हरी झंडी

Punjab and Haryana High Court rejects UT Powerman Union's petition

Punjab and Haryana High Court rejects UT Powerman Union's petition

Punjab and Haryana High Court rejects UT Powerman Union's petition- चंडीगढ़ (साजन शर्मा)I पंजाब एवं हरियाणा हाई  कोर्ट ने बुधवार को चंडीगढ़ प्रशासन के बिजली विभाग के निजीकरण को हरी झंडी दे दी। विभाग को निजी हाथों में सौंपने के खिलाफ यूटी पावरमैन यूनियन की ओर से दायर याचिका को कोर्ट ने खारिज कर दिया। हाईकोर्ट के अनुसार नीतिगत निर्णय में न्यायिक समीक्षा का दायरा बेहद सीमित है।

हाईकोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता यूटी बिजली विभाग के कर्मचारी हैं और बिजली अधिनियम 2003 की धारा 133 के प्रावधान के अनुसार कर्मचारियों की सेवा शर्तें किसी भी तरह से उन शर्तों से कम अनुकूल नहीं होंगी जो तबादला योजना के तहत तबादला न होने पर उन पर लागू होती। मुख्य न्यायाधीश शील नागू और न्यायाधीश अनिल खेत्रपाल की खंडपीठ ने चंडीगढ़ में बिजली के निजीकरण के फैसले को चुनौती देने वाली यूटी पावरमैन यूनियन की ओर से 2020 में दायर याचिका को खारिज करते हुए यह आदेश पारित किए हैं।  

इस मामले में एमिनेंट इलेक्ट्रिसिटी डिस्ट्रीब्यूशन लिमिटेड सबसे ऊंची बोली लगाने वाली कंपनी थी, लेकिन मौजूदा याचिका के लंबित होने के कारण एलओआई जारी नहीं किया गया। कंपनी  ने तर्क दिया था कि कंपनी सरकारी कंपनी के शेयर खरीदेगी और यदि शर्तों का उल्लंघन होगा तो शेयर सरकार को वापस मिल जाएंगे।

यूटी पावरमैन यूनियन ने चंडीगढ़ के बिजली विभाग के निजीकरण की प्रक्रिया के खिलाफ हाई कोर्ट म याचिका दायर की थी। बिजली विभाग के निजीकरण के खिलाफ दायर इस याचिका पर हाई कोर्ट ने  एक दिसंबर 2020 को रोक लगा दी थी। इसके बाद प्रशासन ने इस आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दे दी थी और सुप्रीम कोर्ट ने 12 जनवरी 2021 को हाईकोर्ट के रोक के आदेशों पर ही रोक लगा दी थी।

हाई कोर्ट को इस मामले का 3 महीनों में निपटारा करने के आदेश दिए गये थे। इसके बाद यूटी पावर मैन यूनियन ने फिर अर्जी दायर कर विभाग के निजीकरण को लेकर आगे किसी भी किस्म की कार्यवाही पर रोक लगाए जाने की मांग कर दी थी। हाईकोर्ट ने 10 जून 2021को इस अर्जी पर सुनवाई करते हुए बिजली विभाग के निजीकरण पर फिर रोक लगा दी थी। चंडीगढ़ प्रशासन ने इस आदेश को फिर सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दे दी थी। सुप्रीम कोर्ट ने चंडीगढ़ प्रशासन की अपील पर सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट के 10 जून के आदेश पर रोक लगा दी थी।